शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

जनता किससे करे फ़रियाद??


आखिर ये महंगाई कहाँ जाकर रुकेगी?इसने सबके जीवन को प्रभावित किया है!गांवों में एक तो फसलें नहीं हो रही,बारिश समय पर होती नहीं,नहरों में पूरा पानी नहीं मिल रहा..और ऊपर से कमर तोड़ महंगाई!!क्या करे इंसान?हर साल फसल होने क़ि उम्मीद में कर्जा बढ़ता जाता है...और किसान टूटता जाता है!हालात ये हो गए है क़ि लम्बी चौड़ी ज़मीनों के मालिक आज "नरेगा" में मजदूरी कर रहे है!
इधर शहरों में भी हालात कम बुरे नहीं है!यहाँ तो नरेगा का भी सहारा नहीं है!गाँव में इधर उधर रहने का ठौर मिल जाता है,सस्ता इंधन मिल जाता है!जबकि शहर में गरीब अपना मकान बनाने क़ि सोच नहीं सकता और किराये पर रहना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है!बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना मजबूरी है क्यूंकि सरकारी स्कूल एक एक कर बंद हो गए है!रोजाना मजदूरी मिलनी मुश्किल है और सस्ते अनाज का कहीं पता नहीं है!सरकार साथ देने क़ि बजाय महंगाई और बढ़ने क़ि बात करती है!आखिर क्या करें ?दो वक़्त क़ि रोटी जुटा पाना मुश्किल हो गया है....!राजनितिक दल  अपनी अपनी ढफली बजा रहे है!  जनता किससे करे उम्मीद???/

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