शनिवार, 14 फ़रवरी 2009

क्यूँ मनाएं वैलेंटाइन दिवस.....


प्यार के कितने रूप होते है ये किसी को बताने की आव्सय्कता नहीं है......लेकिन आज इसे केवल प्रेमी और प्रेमिकाओं से जोड़ दिया गया है.हमारे देश में सदियों से प्रेम का इजहार सभ्य तरीकों से होता आया है जिसे समाज की मान्यता भी थी.कभी किसी ने मर्यादा तोड़ने की कोशिश नहीं की चाहे वो देवर भाभी का प्यार हो या कोई और....क्रिशन राधा के प्यार की कोई मिसाल नहीं मिलती....इसी तरह प्रेम के न जाने कितने रूप देखने को मिलते है....फ़िर हमें वैलेंटाइन दिवस की जरुरत कहाँ पड़ती है...क्यूँ मनाये हम इसे....

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