सीख जूते की....
जरनैल का जूता एक साथ बहुत कुछ कह .गया...!हमारे चारों और जो घटित हो रहा है...उसकी कहानी कह गया!अब दुनिया बहुत छोटी हो गई है..!एक मामूली सी घटना थोडी देर में पूरे विशव में फ़ैल जाती है..!बुश पर जूता पड़ते सारी दुनिया ने देखा..लेकिन नेताओं ने इससे सबक लेना उचित नहीं समझा..!ये तो बोलना जानते है..सुनना कहाँ पसंद है इनको..?तो लो खाओ जूते...!नेता लोग एक अलग जाती होती है...पार्टी चाहे कोई हो इनका खून एक है ..तभी तो हर पार्टी में ये झट से एडजस्ट हो जाते है...इनके ब्लड ग्रुप वाली कोई समस्या नहीं ...है..!ये खून करे या दंगे करें या कुछ भी करे ..अवल्ल तो जेल जाते नहीं और चले भी जाएँ तो जल्दी वापिस भी आ जाते है...!जबकि एक आम आदमी को traffik नियम तोड़ने जैसे अपराध में भी इतना .शर्मिन्दा होना पड़ता है की क्या बताएं...?बड़े अपराध में तो जाने क्या होगा? जबकि नेताओं को देखिये...कुछ भी अनाप सनाप बोले जा रहें है..!सब .चुपचाप सुनते जा रहे है....!.देखिये वरुण गांधी को,देखिये लालू जी को ,देखिये रामविलास और मुलायम को...हुआ किसी को कुछ....अब आम आदमी क्या करे ...सुनता रहे इनकी बकवास....क्यूँ? इस sannatte को तोड़ने के लिए फ़िर जूता फेंकना पड़ेगा क्या?
5 टिप्पणियाँ:
जूते ने राजनीति को किस कदर गरमा दिया है हम सभी देख रहे है । जूते पड़ने के बाद भी यह अपना रंग दिखला रही है । बात जब आपने राजनीति की छेड़ी तो यह सोचना ही चाहिए कि नेताओ का न ही कोई आचरण होता है और न ही किसी तरह का चरित्र । फिर हम उनसे ऐसी आशा भी नही रखते है । लालू हो या पासवान ...संसद से लेकर सड़क तक सभी नंगे है । इनका क्या कहना शु्क्रिया
जूते ने राजनीति को किस कदर गरमा दिया है हम सभी देख रहे है । जूते पड़ने के बाद भी यह अपना रंग दिखला रही है । बात जब आपने राजनीति की छेड़ी तो यह सोचना ही चाहिए कि नेताओ का न ही कोई आचरण होता है और न ही किसी तरह का चरित्र । फिर हम उनसे ऐसी आशा भी नही रखते है । लालू हो या पासवान ...संसद से लेकर सड़क तक सभी नंगे है । इनका क्या कहना शु्क्रिया
जी हाँ !
तभी तो मैनें भडास पर लिखा.....
ये देखो क्या आज हो गया।
जूता भी आवाज हो गया ।
टाइटलर, सज्जन पर देखो ,
गिरने वाली गाज हो गया ।
दोनों की तो बज गई यारों ,
जरनैल का ये साज हो गया ।
न्याय तंत्र को कोस रहे हैं ,
जूतों पर ही नाज़ हो गया ।
नेताओं तुम सुधरो वरना ,
प्रचलित ये अंदाज हो गया ।
हर रविवार को नई ग़ज़ल,गीत अपने तीनों ब्लाग पर डालता हूँ।मुझे यकीन है कि आप को जरूर पसंद आयेंगे....
प्रसन्न वदन चतुर्वेदी
सच बताऊँ भाई......??अब तो खुद को ही जूते मारने की कमी रह गयी है बस.....!!
बहुत बढिया!! इसी तरह से लिखते रहिए !
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